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ओरल (मुंह का) कैंसर भारत में दूसरा सबसे प्रचलित कैंसर का प्रकार है। तंबाकू का सेवन (धूम्रपान और बिना धूएँ का धूम्रपान दोनों), अत्यधिक शराब का सेवन और एचपीवी संक्रमण ओरल (मुंह के) कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारक हैं।
ओरल कैंसर या मुंह का कैंसर वह कैंसर है जो होंठ, गाल, जीभ, मुलायम और सख्त तालु, मुंह के तल, साइनस और गले की परत में देखा जाता है। 95% ओरल (मुंह के) कैंसर का निदान 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में किया जाता हैं। यह भी महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है।
ओरल (मुंह का) कैंसर भारत में दूसरा सबसे प्रचलित कैंसर का प्रकार है। तंबाकू का सेवन (धूम्रपान और बिना धूएँ का धूम्रपान दोनों), अत्यधिक शराब का सेवन और एचपीवी संक्रमण ओरल (मुंह के) कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारक हैं।
एचसीजी कैंसर केंद्र में, हमारे पास एक बहुआयामी टीम है जिसमें कई विषयों के विशेषज्ञ शामिल हैं, जो हर एक मरीज़ के लिए सर्वोत्तम उपचार योजना की सिफारिश करने से पहले प्रत्येक कैंसर के मामले पर अच्छी तरह से चर्चा करते हैं।
ओरल (मुंह के) कैंसर के लक्षण हर एक व्यक्ति में अलग अलग हो सकते हैं। यदि नीचे दिए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
शोधकर्ताओं ने विभिन्न कारकों की पहचान की है जो ओरल (मुंह के) कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं।
ओरल (मुंह के) कैंसर का पता लगाने और निदान करने के लिए विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं :
ज्यादातर मामलों में, ओरल (मुंह के) कैंसर का इलाज बहुआयामी दृष्टिकोण से किया जाता है। ओरल (मुंह के) कैंसर का इलाज सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी (विकिरण चिकित्सा), कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी या टार्गेटेड थेरेपी (लक्षित चिकित्सा) से या तो अकेले या संयोजन में किया जाता है।